
19 मई, 2025 | नई दिल्ली | लेखक: डॉ. जी. एस. पांडेय
भारत और तुर्की के बीच लंबे समय से मजबूत व्यापारिक, सांस्कृतिक और मानवीय संबंध रहे हैं। भारत, तुर्की को कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स और मशीनरी निर्यात करता है, जबकि तुर्की से संगमरमर, फल और सिरेमिक टाइल्स का आयात करता है। 2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार लगभग 10.4 अरब डॉलर तक पहुंचा। इसी दौरान 3.3 लाख भारतीय पर्यटकों ने तुर्की की यात्रा की, जिससे तुर्की को बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा आय हुई।
2023 में तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप के दौरान भारत ने ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत सहायता भेजकर आपसी संबंधों को और प्रगाढ़ किया था।
हालांकि, हालिया “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है। भारत द्वारा पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई के दौरान, तुर्की ने पाकिस्तान को 300 ड्रोन और तकनीकी सहायता प्रदान की। यह कदम भारत के लिए एक गंभीर सुरक्षा चुनौती और कूटनीतिक असहमति का कारण बना। माना जा रहा है कि तुर्की की इस्लामिक एकता और पाकिस्तान के साथ रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने की नीति इसके पीछे है।
इसके जवाब में भारत में “Boycott Turkey” अभियान शुरू हो गया है। भारतीय व्यापारियों ने तुर्की से संगमरमर और सेब जैसे उत्पादों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है, जिससे लगभग 500 मिलियन डॉलर के नुकसान की संभावना जताई जा रही है। पर्यटन क्षेत्र में भी असर पड़ा है — EaseMyTrip और TAAI जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स ने तुर्की पर्यटन पर रोक लगा दी है, जिससे तुर्की की आय पर सीधा असर होगा।
रक्षा क्षेत्र में भारत ने तुर्की की शिपयार्ड डील रद्द कर दी है और सोशल मीडिया पर तुर्की के सरकारी चैनल TRT World को ब्लॉक कर दिया गया है।
वर्तमान में भारत और तुर्की के बीच कूटनीतिक हालात अत्यधिक तनावपूर्ण हैं और निकट भविष्य में संबंधों में सुधार की संभावनाएं फिलहाल बेहद क्षीण नजर आ रही हैं।
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